कृष्णा सोबती : 18 फरवरी 1925-25 जनवरी 2019) देश-विभाजन की त्रासदी को आधार बनाकर लिखी गई कहानी ' सिक्का बदल गया ' में कृष्णा सोबती ने एक अकेली , असहाय, बूढ़ी धनाढ्य विधवा नारी की शोचनीय दशा, पराधीनता और विवशता का यथार्थपरक और मर्मस्पर्शी चित्रण किया है। इसमें विभाजन के कटु सत्य को उचित तथ्यों के साथ तथा विभाजन से उत्पन्न दारुण परिस्थितियों का मार्मिक चित्रण तो किया ही गया है, मानवीय संबंधों और मूल्यों में आए विघटन का भी चित्रण हुआ है। ज़माना बदल गया है , सिक्का बदल गया है। कृष्णा सोबती की कहानियों में सर्वाधिक चर्चित एवं प्रसिद्ध कहानी ' सिक्का बदल गया ' का प्रकाशन अज्ञेय द्वारा सम्पादित पत्रिका ' प्रतीक ' में 1948 ई. में हुआ। पात्र : शाहनी, शाहजी, शेरा , हसैना, दाऊद ख़ाँ , पटवारी बेगू , नवाब बीबी, जैलदार, जैना और इस्माईल। खद्दर की चादर ओढ़े , हाथ में माला लिए शाहनी जब दरिया के किनारे पहुंची तो पौ फट रही थी। दूर-दूर आसमान के परदे पर लालिमा फैलती जा रही थी। शाहनी ने कपड़े उतारकर एक...
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